शनिवार, 4 अप्रैल 2020

मैने पूछा तेरा मजहब क्या है उसने से शालीनता से जवाब दिया साहब मैं भूखा हूं


पत्थर पूजे भगवान मिले ,तो मैं पूजू पहाड़ ?थाली बजाये कोरोना भागे, मैं बजाऊं परात


ना हम भीड़ बनते हैं न हीं भीड़ बनाने की आदत है हम तो परवाने हैं ना की किसी के दीवाने


जिंदगी के पन्ने क्या फट्टे लोगों ने सोचा मेरा दौर ही बदल गया रवि कुमार बिरादर


जो सच है वह बात बोलेंगे, लंबी चौड़ी बात नहीं हाकेगें! हम कलम के बेटे हैं साहब, किसी के गुलाम नहीं जो दिन को रात बोलेंगे!